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Monday, April 22, 2019

अल्टरनेटर

अल्टरनेटर


1-अल्टरनेटर क्या होता है ?
उ.-यांत्रिक ऊर्जा को Acविधुत ऊर्जा मे बदलने वाली मशीन हैं 


प्र.2-अल्टरनेटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?

उ  2-अल्टरनेटर फैराडे के विधुत चुंबकिय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई कंडक्टर चुंबकीय बल को काटता है तो उस कडक्टर के अंदर e.m.f  पैदा ही जाती है।


3-अल्टरनेटर के मुख्य भाग कौन कौन से होते है ?
उ. इसके मुख्य पांच है -(1) स्टेटर (2) रोटर (3)बॉडी (4) एक्साइटर (उतेजक )  (5) प्राइम मुवर( मूल गति उत्पादक यंत्र  


.4-ई.एम.एफ.पैदा करने के लिए कौन से मुख्या एलीमेन्ट की आवस्यकता की जरूरत होती है ?
उ.4-(1) प्राइम मूवर  (2) चुंबकिय फ़ील्ड  (3) आर्मेचर कंडक्टर्स !


प्र.5-अल्टरनेटर का फ़ील्ड कितने प्रकार का होता है ।
उ.-(1) स्टेटर फ़ील्ड  (2) रोटेटिंग फ़ील्ड


6-अल्टरनेटर में अधिकतर कौन-सा फ़ील्ड प्रयोग किया जाता है  ।
उतर - रोटेटिंग फ़ील्ड अधिकतर प्रयोग किया जाता है इसमे स्लिप रिग भी कम लगती है ओर अधिक वोल्टेज का भी उत्पादन कर सकता है 


7-अल्टरनेटर की फ्रिक्वैंसी किसपे निर्भर करती है ?
उतर - गति पर निर्भर करती है ओर इसकी गति प्राई्‍म मुवर पर निर्भर करती है 


8-अल्टरनेटर में एक्साइटर का क्या कार्य है 
उतर - यह फील्ड में डी.सी. सप्लाई देना व फील्ड को उत्तेजित करना 


9-प्राइम मूवर का क्या कार्य है 
उतर - यह अल्टरनेटर को घुमाने का कार्य करता है 


10-प्राइम मूवर के आधार पर अल्टरनेटर कितने प्रकार के होते है 
उतर - चार प्रकार के (1) स्टीम टरबाइन अल्टरनेटर  (2) वाटर टरबाइन अल्टरनेटर  (3) गैस टरबाइन अल्टरनेटर (4) आयल इंजन अल्टरनेटर 

11-फ़ील्ड के अनुसार अल्टरनेटर कितने प्रकार के होते है ?
उतर -(1) रोटेटिंग फ़ील्ड टाइप अल्टरनेटर (2) रोटेटीग स्टेटर फिल्ड टाइप अल्टरनेटर 


12-पोल के आधार पर अल्टरनेटर कितने प्रकार के होते है 
उ.=(1) सेलियंट पोल टाइप (2) स्मूथ सिलेंड्रिकल पोल टाइप 


13-फेज की संख्या के आधार पर अल्टरनेटर कितने प्रकार के होते है ?
उ.=-(1) सिंगल फेज अल्टरनेटर  (2) थ्री फेज अल्टरनेटर (पोली फेस)

14-अल्टरनेटर की फ़ील्ड वाइंडिंग को कैसे एक्साइट किया जाता है ?
उ.=उसी शॉफ्ट पर लगे डी.सी. जैनेरेटर द्वारा (shunt जानित्र) (2) अलग से बैटरी द्वारा !

.15-अल्टरनेटर में अधिकतर कौन-सी चीज़ घूमती है ?
उ.अल्टरनेटर में फ़ील्ड घूमता है और आर्मेचर स्थिर रहता है 


16-फ्रिक्वैंसी किस प्रकार कंट्रोल की जाती है ?
उ., प्राइम मूवर की स्पीड कंट्रोल करके 

17-किसी अल्टरनेटर का e.m.f बढाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उ.फ़ील्ड  करंट को रेग्युलेट करके फ्लक्स को बढ़ाते है !

.18-रोटेटिंग फ़ील्ड टाइप अल्टरनेटर में कितने स्लिपरिंग होते है ?
उ.- 2
19-अल्टरनेटर की रेटिंग किस्मे होती है ?
उ.-अल्टरनेटर की रेटिंग K.V.A में व्यक्त किया जाता है 


20-अल्टरनेटर की रेटिंग K.V.A में क्यों होती है ?
उ.-क्योकि लोड का पावर फैक्टर स्थिर नहीं होता है इसका पवार फैक्टर लोड पर निर्भर करता है 


21-लोड का पावर फैक्टर कम होने पर अल्टरनेटर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उ.-पावर फैक्टर कम होने वाइंडिंग में अधिक करंट बहता है जिससे लॉसिस बढ़  जाते है तथा वाइंडिंग गर्म हो जाती है !
H=i2rt के कारणों से गर्म हो जाती है क्योंकि धारा ऊष्मा के वर्ग के स्मानुपति है 


22-लोड के बढ़ने पर अल्टरनेटर की वोल्टेज क्यों कम हो जाती है?
उ. Z इंपीडैस ड्रॉप और आर्मेचर रिएक्शन के कारण 

.23-वोल्टेज रैम्यूलेशन किसे कहते हैं?
उ.-किसी अल्टरनेटर से फुल लोड को हटाने पर वोल्टेज में बढ़ोतरी तथा फुल लोड पर वोल्टेज के अनुपात
को वोल्टेज रेग्यूलेशन कहते हैं। 

                                               % V.R. = Eo - V / V  x 100


24-पावर फैक्टर को कट्रोल करने के लिए कौन-सा यंत्र प्रयोग करते हैं?
उ.-मिनिमम पावर फैक्टर डिमांड इंडीकेटर।


25-लोड की बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए सप्लायर को क्या करना पड़ता है?
उ.-बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए एक और अल्टरनेटर पहले चल रहे अल्टरनेटर के पैरेलल में जोड़ा
जाता है सिंक्रोनाइजिंग ऑफ अल्टरनेटर कहते है !


26-सिंक्रोनाइजिंग के लिए कौन-कौन-सी शर्त पूरा करना आवश्यक हैं?
उ.(1) इनकमिंग अल्टरनेटर की वोल्टेज़, बस बार की वोल्टेज के बराबर होनी चाहिए।
(2) दोनों अल्टरनेटर की फ्रीक्वैसी समान होनी चाहिए।
(3) इनकमिंग अल्टरनेटर का फेज सिक़्वेंस रनिंग अल्टरनेटर के फेज सिक़्वेंस के समान होना चाहिए !


27-अल्टरनेटस को सिंक्रोनाइज करने के विभिन्न तरीके कौन-से हैं?
उ.-(1) डार्क लैंप विधि (2) ब्राइट लैंप विधि (3) डार्क तथा ब्राइट लैंप विधि
(4) सिंक्रोस्कोप विधि ।
चार नंबर वाली विधि ज्यादा उपयोगी है 


28-डार्क लैम्प विधि में बल्बों को कैसे जोड़ा जाता है?
उ.-इसमें बल्बों को दो एक समान फेज़ जैसे कि RR YY, BB, से जोड़ा जाता है।


29-अल्टरनेटर में कौन सा एक्साइटर उपयोग किया जाता है?
उ.-डी.सी. या  कम्पाउंड जैनरेटर उपयोग किया जाता है।


30-स्टीम टरबाइन से चलने वाली मशीन कहलाती हैं
उ.-टबों अल्टरनेटर 


31-एक्साइटर वह होता है जो -
उ.-रोटर को एक्साइट करता है D. C सप्लाई के द्वारा 


32-रोटेटिंग फ़ील्ड टाइप थ्री फेज़ अल्टरनेटर की शॉफ्ट पर स्लिपरिंग्स की संख्या होती है ?
उ.- 2


33-फ़ील्ड एक्साइटेशन वोल्टेज को बढ़ाने के लिए रियोस्टेट को क्यों जोड़ा जाता है ?
उ. - शंट जैनेरेटर के फ़ील्ड सकिट में


.34-बढ़ी हुई माँग को पूरा करने के लिए एक और अल्टरनेटर को चलाते हैं ?
उ.-पैरलल में  समान्तर में 


35-डार्क लैंप विधि में बल्व जोड़े जाते हैं ?
उ.-उसी फेज़ के एक्रॉस !


.36-ब्राइट लैंप विधि में बल्व जोड़े जाते हैं ?
उ.-विपरीत फैजिस में !


.37-सिंक्रोस्कोप कार्य करता है ?
उ. रोटेटिंग मैग्नेटिक फ़ील्डपर !

38. अल्टरनेटर के रोटर को कोनसी सप्लाई दी जाती है
उ. D. C


39. भारत में ALTARANETAR के द्वारा अधिकतम उत्पादन किया जाता है
उ. 33KVA


40. अल्ट्रार्नेटर के द्वारा कोन्सी सप्लाई हमे प्राप्त होती है।
उतर Ac


41 अल्ट्रार्नेटर से कोनसा मान प्राप्त होता है
उ  ओसत मान 




ट्रांसफार्मर

ट्रांसफार्मर क्या है इसके प्रकार | भाग | कार्य सिद्धांत
Transformer Kya Hai? ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल उन DC उपकरण पर किया जाता है जोकि AC सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, बैटरी चार्जर इत्यादि. DC उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम बिजली से चलते हैं . जैसे कि ऑडियो एंपलीफायर 12 Volt DC से काम करता है इसीलिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल कर के पहले AC Volt को 220 Volt से 12 Volt में बदला जाता है और फिर इसे रेक्टिफायर की मदद से AC से DC में बदला जाता है.
सबसे पहले ट्रांसफार्मर का आविष्कार Michael Faraday ने 1831 और Joseph Henry ने 1832 में करके दिखाया था.आज ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बिजली के हर क्षेत्र में हो रहा है बड़े से बड़े पावर स्टेशन से लेकर एक छोटे से घर में भी ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किसी न किसी रुप में किया जा रहा है और हर जगह ट्रांसफार्मर का सिर्फ एक ही काम होता है बिजली को कम या फिर ज्यादा करना तो आज की इस पोस्ट में हम आपको ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है टाइप्स ऑफ़ ट्रांसफार्मर उच्चाई ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है ट्रांसफार्मर की संरचना बिजली ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर के भाग के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं.
  1. ट्रांसफार्मर के भाग
  2. Transformer कितने प्रकार के होते हैं
  3. कोर कि सरचना के आधार पर
  4. फेज की संख्या के आधार पर
  5. ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है
  6. ट्रांसफार्मर से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

ट्रांसफार्मर के भाग

ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं और सभी ट्रांसफार्मर में कुछ खास कॉन्पोनेंट होते हैं जो कि छोटे से छोटे और बड़े से बड़े ट्रांसफार्मर में लगाए जाते हैं. लेकिन जैसा कि आपको पता है ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं इसीलिए बड़े ट्रांसफार्मर के अंदर और भी कई कॉन्पोनेंट लगाए जाते हैं. लेकिन जो कंपोनेंट सभी ट्रांसफार्मर में लगे होते हैं उसकी सूची आपको नीचे दी गई है जिससे आपको पता लगेगा कि ट्रांसफार्मर में कौन-कौन से भाग होते हैं और कौन कौन से भाग क्या क्या काम करते हैं.

Cores -कोर

ट्रांसफार्मर को Core Form और Shell Form में बनाया जाता है. और जिस ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग को Core के चारों तरफ लगाया जाता है उसे Core Form कहते हैं और जिस ट्रांसफार्मर में Core को वाइंडिंग के चारों तरफ लगाया जाता है तो उसे Shell Form कहते हैं .
ट्रांसफार्मर की कोर सिलिकॉन स्टील की पत्तियों द्वारा बनाई जाती है और यह कौर ट्रांसफार्मर में होने वाले Iron और Eddy करंट Loss को कम करने के लिए लगाई जाती है. और इन पत्तियों की चौड़ाई 0.35 Mm से 0.75 Mm के बीच में होती है और इन पत्तियों को आपस में वार्निश से जोड़ा जाता है. ट्रांसफार्मर में यह पत्तियां मुख्यतः E, I, L आदि के आकार में लगाई जाती है .

Coil

ट्रांसफार्मर की Coil ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट तारों के साथ में जोड़ी जाती है. ट्रांसफार्मर में दो Coil लगी होती है. जो कि एक इनपुट का कार्य करती है और एक आउटपुट का कार्य करती है. Coil को वाइंडिंग भी कहा जाता है .यह वाइंडिंग एक दूसरे से जुड़ी नहीं होती. पहली वाइंडिंग और दूसरी वाइंडिंग एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती है और इनकी कोर के चारों तरफ लपेटे की संख्या भी कम और ज्यादा होती है. और प्राइमरी वाइंडिंग से सेकेंडरी वाइंडिंग में सप्लाई म्यूच्यूअल इंडक्शन के कारण जाती है. इसके बारे में नीचे आपको ज्यादा अच्छे से बताया गया है लेकिन पहले इसकी वाइंडिंग के बारे में जान ले.
प्राथमिक वाइंडिंग -Primary Coil :- ट्रांसफार्मर में जिस वाइंडिंग पर AC इनपुट सप्लाई दी जाती है. उसे प्राइमरी वाइंडिंग या प्राथमिक वाइंडिंग कहते हैं.
द्वितीय वाइंडिंग- Secondary Coil :- ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग पर आउटपुट के तार लगाए जाते हैं. और इसी वाइंडिंग से ट्रांसफार्मर की आउटपुट मिलती है.या यूं कहें कि ट्रांसफार्मर की जिस वाइंडिंग पर लोड कनेक्ट किया जाता है उसे सेकेंडरी वाइंडिंग कहते हैं.

Insulated Sheet

प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग के बीच में एक सीट लगाई जाती है ताकि किसी प्रकार का कोई भी शार्ट सर्किट में हो. और ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग पर किसी प्रकार का कोई नुकसान ना हो. इसीलिए यह वाइंडिंग के बीच में इंसुलेटेड सीट लगाई जाती है .

Conservator Tank

जैसा कि पहले हमने बताया ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं उन्हीं के आधार पर उनके अंदर कॉन्पोनेंट लगाए जाते हैं इसीलिए थ्री फेज ट्रांसफार्मर में यह टैंक होता है जिसके अंदर तेल डाला जाता है और यह ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने का काम करता है क्योंकि थ्री फेज ट्रांसफार्मर काफी बड़ा होता है इसीलिए वह गर्म भी बहुत ज्यादा होता है इसीलिए ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए तेल का इस्तेमाल किया जाता है और इस टैंक में ट्रांसफार्मर के लिए तेल भरा जाता है .

Oil Level Indicator

Conservator Tank में ऑयल भरा जाता है लेकिन इसे मापने के लिए इसके अंदर 1 मीटर लगाया जाता है जो कि टैंक में भरे ऑयल की मात्रा को बताता है. और यह वेल मीटर इंडिकेटर टैंक के ऊपर ही लगाया जाता है .

Bushing

Bushing का इस्तेमाल ट्रांसफार्मर में Live Conductor और ट्रांसफार्मर की बॉडी को इंसुलेट करने के लिए लगाया जाता है. और यह ट्रांसफार्मर के सभी टर्मिनल पर लगाया जाता है और इसका इस्तेमाल थ्री फेज ट्रांसफार्मर में ही किया जाता है .

Radiator Fan

रेडिएटर का इस्तेमाल ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है जैसे गाड़ियों में भी गाड़ियों के इंजन को ठंडा रखने के लिए रेडिएटर का इस्तेमाल होता है उसी प्रकार ट्रांसफार्मर में भी एक रेडिएटर लगाया जाता है लेकिन यह रेडिएटर सिर्फ बड़े ट्रांसफार्मर में ही लगाया जाता है.

Oil Filling Pipe

ट्रांसफार्मर में तेल भरने के लिए ट्रांसफार्मर के टाइम पर एक पाइप लगाया जाता है जिसे Oil Filling Pipe कहते हैं और इसी की मदद से ट्रांसफार्मर में तेल भरा जाता है .
तो यह कुछ महत्वपूर्ण भाग ट्रांसफार्मर के होते हैं जो कि लगभग सभी ट्रांसफार्मर में आपको देखने को मिलेंगे लेकिन यहां पर मैंने कुछ और भी कंपोनेंट बताए हैं जो कि सिर्फ बड़े ट्रांसफार्मर में है आपको देखने को मिलेंगे यह ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.

Transformer कितने प्रकार के होते हैं?

TRANSFORMER OF CLASSIFICATION In Hindi ? ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं जहां पर इनका इस्तेमाल किया जाता है उसी आधार पर ट्रांसफार्मर को बनाया जाता है जैसे कि अगर हमें घर में बैटरी का चार्जर बनाना है तो उसके लिए हमें स्टेप डाउन यानी के वोल्टेज को कम करने वाले ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना पड़ेगा और अगर कहीं पर हमें इनवर्टर बनाना है तो वहां पर हमें स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना पड़ेगा या फिर हमारे घर में इस्तेमाल होने वाला स्टेबलाइजर में स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है तो इसी लिए ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं जिनकी सूची नीचे दी गई है .

आउटपुट वोल्टता के आधार पर

1.स्टेप अप ट्रांसफार्मर
जो ट्रांसफार्मर इनपुट वोल्टेज को बढ़ाकर अधिक आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है उसे स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं.ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग के मुकाबले सेकेंडरी वाइंडिंग पर ज्यादा Coil के Turn या लपेटे होती हैं. और इसका इस्तेमाल स्टेबलाइजर, इनवर्टर इत्यादि में किया जाता है.
2.स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर
जो ट्रांसफार्मर इनपुट वोल्टेज को घटाकर कम आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं.इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है क्योंकि DC सप्लाई से चलने वाले बहुत सारे उपकरण मार्केट में है और इसे हम घर में आने वाली AC सप्लाई से चलाने के लिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करते हैं जो कि 220 Volt AC को घटा कर उपकरण के अनुसार कर देता है जैसे कि ऑडियो एंपलीफायर को 12 Volt DC सप्लाई की जरूरत होती है इसलिए हमें स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करके 220 Volt को 12 Volt में बदलना पड़ता है और फिर उसे AC TO DC कनवर्टर से DC सप्लाई में बदलना पड़ता है . इसीलिए इस ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है .

कोर कि सरचना के आधार पर

1.शेल टाइप ट्रांसफार्मर
यह E तथा I आकर की पतियों को जोडकर बनाया जाता है इसमें तीन लिब पड़े होते है जिसमे से एक लिब पर दोनों वाइंडिंग की जाती है वाइंडिंग बीच वाले लिब पर की जाती है जिसका क्षेत्र दोनों साइड वालो से दो गुना होता है कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग कोर के नजदीक की जाती है और ज्यादा वोल्टेज वाली वाइंडिंग कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग के ऊपर की जाती है ताकि इन्सुलेशन आसानी से किया जा सके इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए दो रास्ते होते है इसे हम कम वोल्टेज के लिए यूज करते है.
2.कोर टाइप ट्रांसफार्मर
यह ट्रांसफार्मर L आकार सिलिकोन स्टील की पतियों को इन्सुलेट करके जोड़ कर बनाया जाता है इसकी बनावट आयताकार रूप में होती है यह इसके चार लिब होते है जिनमे से दो आमने सामने वाले लिबो पर वाइंडिंग की जाती है इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए केवल एक ही रास्ता होता है यह हाई वोल्टेज के लिए यूज किया जाता है.

फेज की संख्या के आधार पर

1.सिंगल फेज ट्रांसफार्मर
सिंगल फेस AC.सप्लाई पर कार्य करने वाला ट्रांसफार्मर होता है यह ट्रांसफार्मर सिंगल फेज की वोल्टेज को कम या ज्यादा करता है उसे सिंगल फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें दो वाइंडिंग होती है प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग प्राथमिक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई दी जाती है और द्वितीयक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई स्टेप डाउन या स्टेप अप के रूप में ली जाती है.
2.थ्री फेज ट्रांसफार्मर
थ्री फेज AC. सप्लाई पर कार्य करने वाले ट्रांसफार्मर को थ्री फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें तीन प्राथमिक तथा तीन द्वितीयक वाइंडिंग होती है यह सेल या कोर टाइप के होते हैं इनका उपयोग 66, 110, 132, 220, 440 KVA स्टेप अप करके ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है और जो डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली में जो ट्रांसफार्मर होते है वे थ्री फेज ट्रांसफार्मर होते हैं और आजकल थ्री फेज ट्रांसफार्मर का ही अधिक प्रयोग होता है.

ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है

ट्रांसफार्मर म्यूच्यूअल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है. और ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग होती है जिसमें से एक वाइंडिंग Electromotive Force और दूसरी वाली Magnetic Field पर काम करती है.
जब पहली वाइंडिंग में AC सप्लाई दी जाती है तो उसके चारो तरफ एक मैगनेटिक फील्ड या चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है जिसको Electromotive Force कहते है।
और जब दूसरी Coil इस मैग्नेटिक फील्ड के अंदर आती है तो दूसरी Coil में इलेक्ट्रॉन बहने लगते हैं और इस क्वाइल के सिरों पर हमें AC सप्लाई मिल जाती है . लेकिन ट्रांसफार्मर की आउटपुट सप्लाई इसकी इनपुट के ऊपर निर्भर करेगी.

ट्रांसफार्मर को सप्लाई से जोड़ने से पहले टेस्ट करें

अगर आप कहीं पर ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना चाहते हैं चाहे वह सिंगल फेज ट्रांसफार्मर हो या फिर थ्री फेज ट्रांसफार्मर हो इसका कनेक्शन करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है ताकि आपका ट्रांसफार्मर सही तरह से काम करें और आपको किसी प्रकार की कोई हानि ना हो.

इंसुलेशन टेस्ट

इंसुलेशन को टेस्ट करने के लिए आपको दोनों वाइंडिंग के बीच में मैगर का इस्तेमाल करना है और दोनों वाइंडिंग के बीच का प्रतिरोध पता करना है.

अर्थ कंटीन्यूटी टेस्ट

इस टेस्ट को करने के लिए आपको टेस्ट लैंप का इस्तेमाल करना होगा इसके लिए टेस्ट लैंप की एक तार को ट्रांसफार्मर की बॉडी के साथ जोड़ दें और दूसरी तार को फेज की तार से जोड़ दें अगर लैंप जलता है तो इसका मतलब ट्रांसफार्मर की अर्थिंग बिल्कुल सही तरह से काम कर रही है.

ट्रांसफार्मर आयल टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रांसफार्मर के तेल की जांच की जाती है इस टेस्ट में ट्रांसफार्मर की डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ को मापा जाता है इस के लिए ट्रांसफार्मर आयल टेस्टिंग उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. और जब कॉटन की टेप को 120 डिग्री पर 48 घंटे तक ट्रांसफार्मर के तेल में रखा जाता है अगर इसकी विशेषता में कोई फर्क ना आए तो इसका मतलब ट्रांसफार्मर का तेल अच्छी क्वालिटी का है.

शार्ट सर्किट टेस्ट

इस टेस्ट के दौरान यह पता लगाया जाता है कि प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग आपस में स्पर्श तो नहीं हो रही है. इसके लिए मेगर का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें मेगर के टर्मिनल को प्राइमरी वाइंडिंग के सिरे से जोड़ते हैं. तथा मेगर के दूसरे टर्मिनल को सेकेंडरी रिवाइंडिंग से जोड़ते हैं और मेजर को घुमाने पर सुई 0 रीडिंग देती है तो दोनों वाइंडिंग आपस में शार्ट है यदि सुई इंनफिनिटी पर है तो वाइंडिंग शार्ट नहीं है

ट्रांसफार्मर पार्ट 2

ट्रांसफार्मर से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

1. ट्रांसफार्मर में प्राथमिक एंव द्वितीयक कुण्डलन के मध्य प्रतिरोध कितना होता है ?
. अनन्त होता है
2. ट्रांसफार्मर में ब्रीदर पर प्रयुक्त किया जाने वाला रसायन कौन सा है ?
उत्तर. सिलिका जैल
3. ट्रांसफार्मर का शक्ति गुणक किस पर निर्भर करता है ?
उत्तर. भार के शक्ति गुणक पर निर्भर करता है
4. ट्रांसफार्मर का सबसे अधिक गर्म होने वाला भाग कौनसा है ?
उत्तर. कुण्डलियाँ
5. यदि ट्रांसफार्मर क्रोड़ लौह के स्थान पर ताम्र का बनाया जाये तब शून्य भार पर होने वाली हानियाँ कैसी होगी है ?
उत्तर. भंवर धारा हानियाँ होगी
6. समान्तर प्रचालन हेतु त्रिकलीय ट्रांसफार्मरों के सयोंजन कि उचित व्यवस्था क्या होती है ?
उत्तर. स्टार डेल्टा ट्रांसफार्मर को डेल्टा स्टार ट्रांसफार्मर के साथ जोड़ा जाता है
7. ट्रांसफार्मर क्रोड़ पटलित करने का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर. लौह हानियाँ कम करना
8. ट्रांसफार्मर में लौह कोर का क्या कार्य है ?
उत्तर. प्रेरित फ्लक्स के लिए निम्न रिलेक्टेंश का पथ उपलब्ध कराना
9. ट्रांसफार्मर के कन्जरवेटर क्या कार्य है ?
उत्तर. तेल के प्रसार एंव सकुचन को समायोजित करना
10. ऑटो ट्रांसफार्मर में कितनी कुण्डलीं होती है ?
उत्तर. केवल एक कुण्डलीं होती है
11. ट्रांसफार्मर क्या परिवर्तित करता है ?
उत्तर. धारा एंव वोल्टेज
12. किस परिक्षण द्वारा ट्रांसफार्मर का नियमन एवं दक्षता बिना भार दिये ज्ञात की जाती है ?
उत्तर. सम्पनर परिक्षण
13. ट्रांसफार्मर क्रोड़ का पदार्थ कौन होता है ?
उत्तर. सिलिकॉन स्टील होता है
14. ट्रांसफार्मर में लोड परिवर्तन के साथ परिवर्तन होने वाली हानियाँ कौनसी है ?
उत्तर. ताम्र हानियाँ
15. BU Cholz Relay का उपयोग किस में किया जाता है ?
उत्तर. तेल कूलित ट्रांसफार्मर में
16. ट्रांसफार्मर में K V A क्षमता बढाने पर ट्रांसफार्मर का आकार कैसा होगा ?
उत्तर. आकार बढेगा
17. ट्रांसफार्मर का क्या कार्य है ?
उत्तर. विद्युत ऊर्जा को समान, अधिक अथवा कम वोल्टता पर रूपांतरण
18. सप्लाई आवृत्ति बढाने पर सबसे अधिक प्रभावित होने वाली हानियाँ कौनसी है ?
उत्तर. भंवर धारा हानियाँ
19. शक्ति ट्रांसफार्मर में क्या होती है ?
उत्तर. नियमन वोल्टता कुण्डलीं क्रोड़ के समीप होती है
20. ट्रांसफार्मर में प्रयुक्त तेल का रंग कौन सा होता है ?
उत्तर. पीला होता है
21. ट्रांसफार्मर में प्रतिघात कि मात्रा निर्भर करती है ?
उत्तर. क्षरण फ्लक्स पर
22. शून्य लोड पर ट्रांसफार्मर में क्या हानियाँ होती है ?
उत्तर. केवल लौह हानियाँ होती है
23. ट्रांसफार्मर में क्षरण फ्लक्स पर कौन निर्भर करता है ?
उत्तर. भार धारा
24. उच्च आवृत्ति ट्रांसफार्मर में क्रोड़ का पदार्थ कौनसा है ?
उत्तर. फैराइट होता है
25. एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर में क्या कम होता है ?
उत्तर. धारा
26. उच्च क्षमता वाले ट्रांसफार्मर प्राय: किस स्थान पर प्रयोग किये जाते है ?
उत्तर. प्रत्यावर्तक पर
27. ट्रांसफार्मर पर शून्य भार परिक्षण करने का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर. चुम्बकन धारा एवं शून्य भार हानियाँ ज्ञात करना
28. एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर को किसकी भाँती इस्तेमाल किया जा सकता है ?
उत्तर. स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कि भाँती इस्तेमाल किया जा सकता है
29. ट्रांसफार्मर में प्रयुक्त तेल कौन सा होता है ?
उत्तर. खनिज तेल
30. शुष्क सिलिका जैल का रंग कैसा होता है ?
उत्तर. नीला होता है
31. ट्रांसफार्मर में ताम्र हानियाँ कंहा होती है ?
उत्तर. कुण्डलीं में
32. ट्रांसफार्मर में होने वाला शोर क्या कहलाता है ?
उत्तर. हमिंग
33. एक आदर्श ट्रांसफार्मर से क्या होता है ?
उत्तर. उच्च प्रतिरोध तथा शून्य प्रतिरोध होता है
34. एक ट्रांसफार्मर में सेकेण्डरी धारा शून्य है इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर. ट्रांसफार्मर पर कोई प्रभाव नहीं है
35. नमी सोखने के पश्चात सिलिका जैल का रंग कैसा होता है ?
उत्तर. हल्का गुलाबी रंग होता है
36. ट्रांसफार्मर में ऋणात्मक वोल्टेज रेगुलेशन होने का क्या अर्थ कि संयोजित भार का शक्ति गुणक कैसी है ?
उत्तर. अग्रगामी है
37. ऑटो ट्रांसफार्मर तथा अन्य साधारण ट्रांसफार्मर में मुख्य अन्तर क्या है ?
उत्तर. लौह हानियों का परिणाम
38. ट्रांसफार्मर में प्राथमिक एवं द्वितीय कुण्डलियों का युग्मन कौन होता है ?
उत्तर. चुम्बकीय
39. दो कुण्डली वाले ट्रांसफार्मर में प्राइमरी तथा सेकेण्डरी में प्रेरित वोल्टेज कैसी होती है ?
उत्तर. समान कला में होती है
40. ट्रांसफार्मर में उच्च नियमन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर. शून्य लोड से पूर्ण लोड तक वोल्टता परिवर्तन न्यूनतम
41. लघु परिपथ परिक्षण में लौह हानियाँ नगण्य क्यों होती है ?
उत्तर. ट्रांसफार्मर में उत्पन्न फ्लक्स सामान्यत: उत्पन्न फ्लक्स का एक बहुत छोटा अंश होता है
42. ट्रांसफार्मर में ब्रीदर का क्या कार्य होता है ?
उत्तर. वायु कि नमी कम करना
43. ट्रांसफार्मर में वोल्टेज स्थिर रखते हुए यदि आवृत्ति बढाई जाये तब क्या होगा ?
उत्तर. भंवर धारा हानियाँ अपरिवर्तित रहेगी
44. ट्रांसफार्मर में फ्लक्स घनत्व बढाने पर ट्रांसफार्मर का आकार कैसा करना चाहिए ?
उत्तर. ट्रांसफार्मर का आकार छोटा करना चाहिए

TECHNICAL QUIZ ONLINE 13



आप सभी का स्वागत है ONLINE TETS में आप सभी के लिए ITI THEORY की QUIZ का आयोजन हमारी BLOG पर किया जा राहा जो रोजाना 5:00PM पर एक क्विज रोजाना अपडेट की जाती है ! अगर आप भी कोइ क्विज का आयोजन करवाना चाहते है तो आप हमारे BLOG के Contact Form में अपना नाम भर कर और EMAIL भर कर मेसेज में 10 प्रश्न लिख भेज सकते है ! आपके द्वारा भेजे गए प्रश्न की QUIZ को हम ऑनलाइन डाल देगे जिसमे आपका नाम भी डाला जाएगा !

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क्विज आयोजन कर्ता -Ajay lakheraajaymahwa224@gmail.com

Sunday, April 21, 2019

Synchronous motor


Ø  सिक्रोन्स मोटर का स्टार्टिग बला आघर्ण शून्य है इस लिय यह मोटर स्वचालित नहीं होती I
Ø  सिक्रोन्स मोटर को चलाने के लिए 3 फेज की A.C सप्लाई और D.C सप्लाई दोनों की आवश्यकता होती है I
Ø  सिक्रोन्स मोटर के प्रकार –
1.       सामन्य सिक्रोन्स मोटर
2.       ऑटो सिक्रोनस मोटर
1)      सामन्य तुल्यकालिक मोटर :- यह मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है इस लिए इसे स्टार्टिग के समय प्राईममूवर की आवश्यकता पड़ती है जिसके द्वारा इसे तुल्यकालिक गति पर घुमाया जाता है I
ü  तुल्यकालिक गति – थ्री फेज की स्टेटर वाइडिंग का फलक्स जिस गति पर घूमता है उसे तुल्यकालिक गति कहते है ! तुल्यकालिक गति आवर्ती के समानुपाती व पोलो की संख्या के विलोमानुपाती होती है I
NS=120*f/P
ü  तुल्यकालिक मोटर के मुख्य भाग –
1.       स्टेटर
2.       रोटर
3.       एक्साइटर
4.       प्राईम मूवर
v  स्टेटर – तुल्यकालिक मोटर में स्टेटर के उपर इंडेक्सन मोटर की तरह ही थ्री फेज वाइडिंग की जाती है I जिसका कला अंतर 1200 रखा जाता है !
v  रोटर – रोटर के ऊपर D.C की फिल्ड वाइडिंग स्थापित करते है फिल्ड वाइडिंग के स्थापन के समय एकान्तर धुर्व असमान होने चाहिए फिल्ड वाइडिंग को दो स्लिप रिंग की साहयता से एक्साईटर से जोड़ा जाता है I
v  एक्साइटर (उतेजक ) – एक्साइटर  के रूप में DC का शंट या योगिक जनित्र काम में आता है जो 110/250 V पर कार्य करने वाला होता है I
v  प्राईम मूवर – प्राईम मूवर स्टार्टिग के समय मोटर को तुल्यकालिक गति पर घुमाता के लिए साहयक है Iपरन्तु उपयोग होने वाले प्राईम मूवर की गति हमेशा तुल्यकालिक गति से अधिक होनी चाहिए !
ü  सामान्य तुल्यकालिक मोटर की कार्य प्राणाली – जब घूमते हुए स्टेटर पोल के साथ रोटर को प्राईम मुवर की साहयता से घुमाते है तो स्टेटर पोल रोटर के पोल के साथ इन्टरलोक हो जाते है जब मोटर का रोटर तुल्यकालिक गति पर घुमने लगता है तो बाद में प्राईम मूवर को हटा लिया जाता है I
ü  उपयोग – लाईनों का पावर फैक्टर सुधारने के लिए व जाहा पर स्थिर गति की आवश्यकता वाली जगह पर आदि सभी जगहों पर इसका उपयोग किया जाता है !
2)      ऑटो तुल्यकालिक मोटर – सामान्य तुल्यकालिक मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए कुछ बदलाव किये जाते है बदलाव के रूप में इन्हे ऑटो तुल्यकालिक बनाया जाता है I ऑटो तुल्यकालिक मोटर दो प्रकार की होती है I

Transformer


Transformer
1.ट्रासफॅार्मर एक स्‍थैतिक विद्युत चुम्‍बकीय युक्ति होती हैा जिसमें दो या दो से अधिक वाइन्डिग होती हैा
2.प्रथामिक वाइन्डिग में प्रत्‍यावर्ती फ्लक्‍स उत्‍पन्‍न होता हैा जिसका आयाम प्रथामिक वोल्‍टेज तथा टर्नो की संख्‍या पर निर्भर करता हैा
3.द्वितीयक वाइन्डिग में प्रत्‍यावर्ती फ्लक्‍स उत्‍पन्‍न होता है जिसका आयाम द्वितीयक वाइन्डिग की टर्नो की संख्‍या पर निर्भर करता हैा
4.ट्रासफॅार्मर पावर व आवृत्ति से अप्रभावित रहता हैा
5.ट्रासफॅार्मर से A.C.की उच्‍च वोल्‍टेज को निम्‍न वोल्‍अेज तथा निम्‍न वोल्‍टेज को उच्‍च वोल्‍टेज में परिवर्तित करने में उपयोग किया जाता हैा
6.ट्रासफॅार्मर की दक्षता 90 से 98 प्रतिशत तक होती हैा
7.ट्रासफॅार्मर म्‍युचल इन्‍डक्‍शन या अन्‍योन्‍य प्रेरण के सिद्धातं पर कार्य करता हैा इसे परिणामित्र भी कहतें हैा
8.यह एक ऐसा यंत्र है जो प्रत्‍यावर्ती वोल्‍टेज को बिना विद्युत ऊर्जा नष्‍ट किए परि‍वर्तित कर देता अर्थात् बढा देता या घटा देता हैा
9.पावर ट्रासफॅार्मर की दक्षता 92 से 99% प्रतिशत होती हैा
10.ट्रासफॅार्मर की लेमीनेटेड कोर सिलिकॉन स्‍टील की बनी होती हैा इसमें 3 प्रतिशत सिलिकॉन व 97% प्रतिशत लोहा होता हैा
11.ट्रासफॅार्मर में सिलिकॉन की मात्रा हिस्‍ट्रेसिस हानि को कम करती हैा प्रत्‍येक लेमीनेटेड कोर वार्निश से इन्‍सुलेटेड रहती हैा
12.उच्‍चायी ट्रासफॅार्मर की द्वितीयक कुण्डली में फेरों की संख्‍या प्राथमिक कुण्‍डली की तुलना में अधिक होती हैा यह ट्रासफॅार्मर धारा की प्रबलता को घटा देता हैा
13.अपचायी ट्रासफॅार्मर की द्वितीयक कुण्‍डली में फेरों की संख्‍या प्राथमिक कुण्‍डली की तुलना में कम होती हैा यह ट्रासफॅार्मर धारा की प्रबलता को बढा देता हैा
14.थ्री फेज स्‍टेप अप ट्रासफॅार्मर व स्‍टेप डाउन ट्रासफॅार्मर प्राय: डेल्‍टा-स्‍टार में संयोजित किए जाते है।
15.शैल टाइप ट्रासफॅार्मर में E  I प्रकार की लेमीनेटेड कोर प्रयोग में ली जाती हैा चुम्‍बकीय परिपथ के दो मार्ग होते हैा
16.कोर टाइप ट्रासफॅार्मर को कोर की दोनो भुजाओं पर वाइन्डिग संयोजित की जाती हैा चुम्‍बकीय परिपथ का र्माग एक ही होता है।
17.थ्री फेज ट्रासफॅार्मर प्राय: शैल या कोर टाइप के होते है।
18.ट्रासफॅार्मर आयॅल यह खनिज तेल व सिन्‍थेटिक तेल प्रकार का होता है।
19.ट्रासफॅार्मर तेल यह विशेष ग्रेड का मोबिल आयॅल होता हैा जिसे पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्‍त किया जाता है।
20.सिन्‍थेटिक तेल सिलिकॉन तथा हाइड्रोकार्बन द्रवों से तैयार किया जाता है।
21.विद्युतरोधी तुल का 27 पर घनत्‍व 0.89 ग्राम/सेमी2 होना चाहिए।
22.ट्रासफॅार्मर आयॅल में पानी की अधिकतम मात्रा 50ppm(Parts of million) होनी चाहिए।
23.ऑटो ट्रासफॅार्मर या स्‍व पणिमित्र में एक कुण्‍डलन होती है।
24.C.T.करन्‍ट ट्रासफॅार्मर में स्‍टेप अप ट्रासफॅार्मर प्रयोग किया जाता है।
25.C.T.करन्‍ट ट्रासफॅार्मर उच्‍च धारा को कम रेन्‍ज के एम्पियर मीटर से नापने हेतु किया जाता है।
26.P.T.पोटेंशियल ट्रासफॅार्मर में स्‍टेप डाउन ट्रासफॅार्मर प्रयोग किया जाता है।
27.P.T.पोटेशियल ट्रासफॅार्मर का प्रयोग कम रेन्‍ज के वोल्‍टमीटर से हाई वोल्‍टेज मापने मे किया जाता
है।
28.P.T.पोटेशियल ट्रासफॅार्मर की धातु आवरण को अच्‍छी तरह अर्थिगं से जोडा जाना चाहिए।
29.क्लिप आनॅ मीटर को टांग टैस्‍टर भी कहतें है। इसमें करन्‍ट ट्रासफॅार्मर का प्रयोग किया जाता हैा
30.पावर ट्रांसफॉर्मर 200KVA तक की रेटिंग से अधिक के होते हैा
31.पावर ट्रांसफॉर्मर की दक्षता फुल लोड पर अधिकतम होती है।
32.करन्‍ट ट्रांसफॉर्मर की रीडिंग 0-5A तक होती है।
33.ट्रांसफॉर्मर की दक्षता तब अधिक जब लौह हानि और ताम्र हानि बराबर हो जाए।
34.डिस्‍ट्रीब्‍यूशन ट्रांसफॉर्मर की दक्षता 50 लोड पर अधिकतम होती है।
35.पावर ट्रांसफॉर्मर की रिएक्‍टेन्‍स लीकेज डिस्‍ट्रीब्‍यूशन ट्रांसफॉर्मर से अधिक होती है।
37.ट्रांसफॉर्मर में नमी रहित हवा को कन्‍जरवेटर में ब्रीदर का प्रयोग किया जाता है।
38.ब्रीदर में सीलिका जैल का प्रयोग किया जाता है।
39.सिलिका जैल हल्‍के गुलाबी व सफेद रंग की आती है। हवा की नमी सोखकर नीले रंग की हो जाती है।
40.ट्रांसफॉर्मर तेल मे गर्म होने व बुलबले की उपस्थिति प्रथम दोष की चेतावनी के रूप में मानी जाती है।
41.बकोल्‍ज रिले गैस की उपस्थिति को गैस दाब रिले, जिसे बकोल्‍ज रिले कहते है।
42.ट्रांसफॉर्मर की रेटिंग सदैव KVA किलो वोल्‍ट एम्पियर या MVA मेगा वोल्‍ट एम्पियर व्‍यक्‍त कि  जाती है।
43.स्‍टार-स्‍टार कनेक्‍शन विधि का उपयोग उच्‍च वोल्‍टेज एवं उच्‍च शक्ति वाले ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
44.डेल्‍टा-डेल्‍टा कनेक्‍शन विधि में कम तथा उच्‍च शक्ति वाले ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
45.स्‍टार-डेल्‍टा कनेक्‍शन विधि का उपयोग वोल्‍टेज स्‍टेप अप पावर ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
46.डेल्‍टा-स्‍टार कनेक्‍शन विधि का उपयोग वोल्‍टेज स्‍टेप डाउन मे किया जाता है।
47.ओपन डेल्‍टा कनेक्‍शन का विधि का उपयोग निम्‍न वोल्‍टेज एवे निम्‍न शक्ति वाले 3Phase ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
48.स्‍काट कनेक्‍शन या कनेक्‍शन में टेपिंग सम्‍पूर्ण की 100/2 या 86.6 टर्नो के बाद निकाली जाती है।
50.स्‍काटॅ कनेक्‍शन में सैकण्‍डरी वाइन्डिग द्वारा 2 फेज चार तार सप्‍लाई प्राप्‍त‍ हो जाती है।
51.थ्री फेज ट्रांसफॉर्मर को समानान्‍तर करने की शर्ते-
1.फेज डिफ्रेन्‍स समान होना चाहिए।
2.ध्रुवता समान होना चाहिए।
3.फेज रोटेशन समान होना चाहिए।
52.ट्रांसफॉर्मर में वोल्‍टेज नियमन सैकण्‍डरी की बिना भार से पूर्ण भार वोल्‍टेज में अन्‍तर तथा बिना लोड सैकण्‍डरी वोल्‍टेज का अनुपात होता है।
53.ट्रांसफॉर्मर की कुण्‍डलनो का प्रतिरोध ताम्र चालक की लम्‍बाई के सानुपाती और अनुप्रस्‍थ क्षेत्र के प्रतिलोमानुपाती होता है।
54.ट्रांसफॉर्मर का प्रतिराधे सदैव गर्म स्थिति मे ज्ञात करना चाहिए।
55.ट्रांसफॉर्मर में ओपन सर्किट टेस्‍ट द्वारा आयरन हानि ज्ञात कि जाती है।
56.ट्रांसफॉर्मर शॉर्ट सर्किट टेस्‍ट द्वारा कापॅर हानि ज्ञात कि जाती है।
57.ट्रांसफॉर्मर की शक्ति लोड करन्‍ट द्वारा निर्धारित होती है जो कि पावर फैक्‍टर पर निर्भर करती है अत: ट्रांसफॉर्मर की KVA or MVA रेटिंग मे होती है।
58.शैल टाइप ट्रांसफॉर्मर में सैडविच टाइप वाइन्डिग की जाती है।
59.कम वोल्‍टेज को अधिक वोल्‍टेज मे बदलने वाला ट्रांसफॉर्मर स्‍टेज अप ट्रांसफॉर्मर कहलाता है।
60.ट्रांसफॉर्मर की कोर नर्म लोहे की बनायी जाती है।
61.ट्रांसफॉर्मर में आयरन हानि स्थिर हानियां कहलाती है।
62.20 KVA ट्रांसफॉर्मर को तेल द्वारा ठण्‍डा किया जाता है।
63.C.T. करन्‍ट ट्रांसफॉर्मर होता है।
64.P.T. पोटेन्शियल ट्रांसफॉर्मर होता है।
65.ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी व सैकण्‍डरी वाइन्डिग होती है।
67.आदर्श ट्रांसफॉर्मर जिनकी दक्षता शत प्रतिशत होती है।
68.ऑटो ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग स्‍टेपलाइजर मे होता है।
69.बकोल्‍ज रिले टैंक और कन्‍जरवेटर के मध्‍य स्थित रहती है।
70.सिलिका जैल का उपयोग तेल नमी सुखाने हेतु किया जाता है।
71.थ्री फेज सप्‍लाई को टू फेजों स्‍कॉट कनेक्‍शन द्वारा बदला जाता है।
72.ट्रांसफॉर्मर में अधिक वोल्‍टेज वाली लाइन को हाइटेन्‍सन लाइन कहते है।
73.ट्रांसफॉर्मर में कम वोल्‍टेज वाली लाइन को लोटेन्‍सन लाइन कहते है।
74.ट्रांसफॉर्मर मे हानियों की गणना वाट मे व्‍यक्‍त की जाती है।
75.Pulse transformer मे फैराइड क्रोड का प्रयोग किया जाता है।
76.ट्रांसफॉर्मर के क्रोड मे भवंर धारा से हानि होती है।
77.आदर्श ट्रांसफॉर्मर में शून्‍य लोड पर प्राथमिक कुण्‍डलन की धारा वाल्‍टेज से 900 पिछड जाती है।
78.ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक एवं द्वितीयक कुण्‍डली मे सदैव एक उभयनिष्‍ठ चुम्‍बकीय परिपथ होता है।
79.Singal phase ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक एवं प्रेरित द्वितीयक वोल्‍टता एक-दूसरे से 1800 पर स्थित होती है।
80.कुण्‍डलन प्रतिरोध के कारण किसी ट्रांसफॉर्मर में ताम्र क्षति होती है।
81.3-फेज डेल्‍टा ट्रांसफॉर्मर की एक फेज कुण्‍डली जल या ओपन सर्किट हो जाए तो वह 58 पावर ही प्रदान करेग।
82.P.T.पोटेन्शियल ट्रांसफॉर्मर का उपयोग करते समय वोल्‍टमापी को सदेव द्वितीयक वाइन्डिग से जोडना चाहिए।
83.ट्रांसफॉर्मर एक स्‍थैतिक युक्ति है इसकी दक्षता उच्‍च रहती है।
84.बैरी टाइप ट्रांसफॉर्मर मे चुम्‍बकीय परिपथो की संख्‍या अनेक होती है।
85.ट्रांसफॉर्मर की प्रत्‍येक क्‍वॉइल मे उत्‍पन्‍न वि.वा. बल आवृत्ति लपेट संख्‍या एवं अधिकतम चुम्‍बकीय फलक्‍स पर निर्भर करता है।
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