Ø
सिक्रोन्स मोटर का स्टार्टिग बला आघर्ण शून्य है
इस लिय यह मोटर स्वचालित नहीं होती I
Ø
सिक्रोन्स मोटर को चलाने के लिए 3 फेज की A.C
सप्लाई और D.C
सप्लाई दोनों की
आवश्यकता होती है I
Ø
सिक्रोन्स मोटर के प्रकार –
1.
सामन्य सिक्रोन्स मोटर
2.
ऑटो सिक्रोनस मोटर
1)
सामन्य तुल्यकालिक मोटर :- यह मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है इस लिए
इसे स्टार्टिग के समय प्राईममूवर की आवश्यकता पड़ती है जिसके द्वारा इसे तुल्यकालिक
गति पर घुमाया जाता है I
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तुल्यकालिक गति – थ्री फेज की स्टेटर वाइडिंग का
फलक्स जिस गति पर घूमता है उसे तुल्यकालिक गति कहते है ! तुल्यकालिक गति आवर्ती के
समानुपाती व पोलो की संख्या के विलोमानुपाती होती है I
NS=120*f/P
ü
तुल्यकालिक मोटर के मुख्य भाग –
1.
स्टेटर
2.
रोटर
3.
एक्साइटर
4.
प्राईम मूवर
v
स्टेटर – तुल्यकालिक मोटर में स्टेटर के उपर
इंडेक्सन मोटर की तरह ही थ्री फेज वाइडिंग की जाती है I जिसका कला अंतर 1200 रखा जाता है !
v
रोटर – रोटर के ऊपर D.C की फिल्ड वाइडिंग स्थापित करते है फिल्ड
वाइडिंग के स्थापन के समय एकान्तर धुर्व असमान होने चाहिए फिल्ड वाइडिंग को दो
स्लिप रिंग की साहयता से एक्साईटर से जोड़ा जाता है I
v
एक्साइटर (उतेजक ) – एक्साइटर के रूप में DC का शंट या योगिक जनित्र काम में आता है जो
110/250 V पर
कार्य करने वाला होता है I
v
प्राईम मूवर – प्राईम मूवर स्टार्टिग के समय मोटर
को तुल्यकालिक गति पर घुमाता के लिए साहयक है Iपरन्तु उपयोग होने वाले प्राईम मूवर की
गति हमेशा तुल्यकालिक गति से अधिक होनी चाहिए !
ü
सामान्य तुल्यकालिक मोटर की कार्य प्राणाली – जब
घूमते हुए स्टेटर पोल के साथ रोटर को प्राईम मुवर की साहयता से घुमाते है तो
स्टेटर पोल रोटर के पोल के साथ इन्टरलोक हो जाते है जब मोटर का रोटर तुल्यकालिक
गति पर घुमने लगता है तो बाद में प्राईम मूवर को हटा लिया जाता है I
ü
उपयोग – लाईनों का पावर फैक्टर सुधारने के लिए व
जाहा पर स्थिर गति की आवश्यकता वाली जगह पर आदि सभी जगहों पर इसका उपयोग किया जाता
है !
2)
ऑटो तुल्यकालिक मोटर – सामान्य तुल्यकालिक मोटर
को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए कुछ बदलाव किये जाते है बदलाव के रूप में इन्हे ऑटो
तुल्यकालिक बनाया जाता है I ऑटो तुल्यकालिक मोटर दो प्रकार की होती है I
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