Transformer
1.ट्रासफॅार्मर एक स्थैतिक विद्युत चुम्बकीय युक्ति
होती हैा जिसमें दो या दो से अधिक वाइन्डिग होती हैा
2.प्रथामिक वाइन्डिग में प्रत्यावर्ती फ्लक्स उत्पन्न
होता हैा जिसका आयाम प्रथामिक वोल्टेज तथा टर्नो की संख्या पर निर्भर करता हैा
3.द्वितीयक वाइन्डिग में प्रत्यावर्ती फ्लक्स उत्पन्न
होता है जिसका आयाम द्वितीयक वाइन्डिग की टर्नो की संख्या पर निर्भर करता हैा
4.ट्रासफॅार्मर पावर व आवृत्ति से अप्रभावित रहता हैा
5.ट्रासफॅार्मर से A.C.की उच्च वोल्टेज को निम्न वोल्अेज तथा निम्न वोल्टेज को उच्च
वोल्टेज में परिवर्तित करने में उपयोग किया जाता हैा
6.ट्रासफॅार्मर की दक्षता 90 से 98 प्रतिशत तक होती हैा
7.ट्रासफॅार्मर म्युचल इन्डक्शन या अन्योन्य प्रेरण
के सिद्धातं पर कार्य करता हैा इसे परिणामित्र भी कहतें हैा
8.यह एक ऐसा यंत्र है जो प्रत्यावर्ती वोल्टेज को बिना
विद्युत ऊर्जा नष्ट किए परिवर्तित कर देता अर्थात् बढा देता
या घटा देता हैा
9.पावर ट्रासफॅार्मर की दक्षता 92 से 99% प्रतिशत होती
हैा
10.ट्रासफॅार्मर की लेमीनेटेड कोर सिलिकॉन स्टील की बनी
होती हैा इसमें 3 प्रतिशत सिलिकॉन व 97% प्रतिशत लोहा होता हैा
11.ट्रासफॅार्मर में सिलिकॉन की मात्रा हिस्ट्रेसिस हानि
को कम करती हैा प्रत्येक लेमीनेटेड कोर वार्निश से इन्सुलेटेड रहती हैा
12.उच्चायी ट्रासफॅार्मर की द्वितीयक कुण्डली में फेरों
की संख्या प्राथमिक कुण्डली की तुलना में अधिक होती हैा यह ट्रासफॅार्मर धारा की
प्रबलता को घटा देता हैा
13.अपचायी ट्रासफॅार्मर की द्वितीयक कुण्डली में फेरों की
संख्या प्राथमिक कुण्डली की तुलना में कम होती हैा यह ट्रासफॅार्मर धारा की प्रबलता
को बढा देता हैा
14.थ्री फेज स्टेप अप ट्रासफॅार्मर व स्टेप डाउन
ट्रासफॅार्मर प्राय: डेल्टा-स्टार में संयोजित किए जाते है।
15.शैल टाइप ट्रासफॅार्मर में E व I प्रकार की
लेमीनेटेड कोर प्रयोग में ली जाती हैा चुम्बकीय परिपथ के दो मार्ग होते हैा
16.कोर टाइप ट्रासफॅार्मर को कोर की दोनो भुजाओं पर
वाइन्डिग संयोजित की जाती हैा चुम्बकीय परिपथ का र्माग एक ही होता है।
17.थ्री फेज ट्रासफॅार्मर प्राय: शैल या कोर टाइप के होते
है।
18.ट्रासफॅार्मर आयॅल यह खनिज तेल व सिन्थेटिक तेल प्रकार
का होता है।
19.ट्रासफॅार्मर तेल यह विशेष ग्रेड का मोबिल आयॅल होता
हैा जिसे पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्त किया जाता है।
20.सिन्थेटिक तेल सिलिकॉन तथा हाइड्रोकार्बन द्रवों से
तैयार किया जाता है।
21.विद्युतरोधी तुल का 27 पर घनत्व 0.89 ग्राम/सेमी2 होना चाहिए।
22.ट्रासफॅार्मर आयॅल में पानी की अधिकतम मात्रा 50ppm(Parts of million) होनी चाहिए।
23.ऑटो ट्रासफॅार्मर या स्व पणिमित्र में एक कुण्डलन
होती है।
24.C.T.करन्ट ट्रासफॅार्मर में स्टेप अप ट्रासफॅार्मर प्रयोग
किया जाता है।
25.C.T.करन्ट ट्रासफॅार्मर उच्च धारा को कम रेन्ज के
एम्पियर मीटर से नापने हेतु किया जाता है।
26.P.T.पोटेंशियल ट्रासफॅार्मर में स्टेप डाउन ट्रासफॅार्मर
प्रयोग किया जाता है।
27.P.T.पोटेशियल ट्रासफॅार्मर का प्रयोग कम रेन्ज के वोल्टमीटर
से हाई वोल्टेज मापने मे किया जाता
है।
है।
28.P.T.पोटेशियल ट्रासफॅार्मर की धातु आवरण को अच्छी तरह
अर्थिगं से जोडा जाना चाहिए।
29.क्लिप आनॅ मीटर को टांग टैस्टर भी कहतें है। इसमें
करन्ट ट्रासफॅार्मर का प्रयोग किया जाता हैा
30.पावर ट्रांसफॉर्मर 200KVA तक की रेटिंग से अधिक के होते हैा
31.पावर ट्रांसफॉर्मर की दक्षता फुल लोड पर अधिकतम होती
है।
32.करन्ट ट्रांसफॉर्मर की रीडिंग 0-5A तक होती है।
33.ट्रांसफॉर्मर की दक्षता तब अधिक जब लौह हानि और ताम्र
हानि बराबर हो जाए।
34.डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर की दक्षता 50 लोड पर
अधिकतम होती है।
35.पावर ट्रांसफॉर्मर की रिएक्टेन्स लीकेज डिस्ट्रीब्यूशन
ट्रांसफॉर्मर से अधिक होती है।
37.ट्रांसफॉर्मर में नमी रहित हवा को कन्जरवेटर में
ब्रीदर का प्रयोग किया जाता है।
38.ब्रीदर में सीलिका जैल का प्रयोग किया जाता है।
39.सिलिका जैल हल्के गुलाबी व सफेद रंग की आती है। हवा की
नमी सोखकर नीले रंग की हो जाती है।
40.ट्रांसफॉर्मर तेल मे गर्म होने व बुलबले की उपस्थिति
प्रथम दोष की चेतावनी के रूप में मानी जाती है।
41.बकोल्ज रिले गैस की उपस्थिति को गैस दाब रिले, जिसे बकोल्ज रिले कहते है।
42.ट्रांसफॉर्मर की रेटिंग सदैव KVA किलो वोल्ट एम्पियर या MVA मेगा वोल्ट एम्पियर व्यक्त कि जाती है।
43.स्टार-स्टार कनेक्शन विधि का उपयोग उच्च वोल्टेज
एवं उच्च शक्ति वाले ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
44.डेल्टा-डेल्टा कनेक्शन विधि में कम तथा उच्च शक्ति
वाले ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
45.स्टार-डेल्टा कनेक्शन विधि का उपयोग वोल्टेज स्टेप
अप पावर ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
46.डेल्टा-स्टार कनेक्शन विधि का उपयोग वोल्टेज स्टेप
डाउन मे किया जाता है।
47.ओपन डेल्टा कनेक्शन का विधि का उपयोग निम्न वोल्टेज
एवे निम्न शक्ति वाले 3Phase
ट्रांसफॉर्मर मे किया जाता है।
48.स्काट कनेक्शन या कनेक्शन में टेपिंग सम्पूर्ण की
100/2 या 86.6 टर्नो के बाद निकाली जाती है।
50.स्काटॅ कनेक्शन में सैकण्डरी वाइन्डिग द्वारा 2 फेज
चार तार सप्लाई प्राप्त हो जाती है।
51.थ्री फेज ट्रांसफॉर्मर को समानान्तर करने की शर्ते-
1.फेज डिफ्रेन्स समान होना
चाहिए।
2.ध्रुवता समान होना चाहिए।
3.फेज रोटेशन समान होना चाहिए।
52.ट्रांसफॉर्मर में वोल्टेज नियमन सैकण्डरी की बिना भार
से पूर्ण भार वोल्टेज में अन्तर तथा बिना लोड सैकण्डरी वोल्टेज का अनुपात होता
है।
53.ट्रांसफॉर्मर की कुण्डलनो का प्रतिरोध ताम्र चालक की
लम्बाई के सानुपाती और अनुप्रस्थ क्षेत्र के प्रतिलोमानुपाती होता है।
54.ट्रांसफॉर्मर का प्रतिराधे सदैव गर्म स्थिति मे ज्ञात
करना चाहिए।
55.ट्रांसफॉर्मर में ओपन सर्किट टेस्ट द्वारा आयरन हानि
ज्ञात कि जाती है।
56.ट्रांसफॉर्मर शॉर्ट सर्किट टेस्ट द्वारा कापॅर हानि
ज्ञात कि जाती है।
57.ट्रांसफॉर्मर की शक्ति लोड करन्ट द्वारा निर्धारित
होती है जो कि पावर फैक्टर पर निर्भर करती है अत: ट्रांसफॉर्मर की KVA or MVA रेटिंग मे होती है।
58.शैल टाइप ट्रांसफॉर्मर में सैडविच टाइप वाइन्डिग की जाती
है।
59.कम वोल्टेज को अधिक वोल्टेज मे बदलने वाला
ट्रांसफॉर्मर स्टेज अप ट्रांसफॉर्मर कहलाता है।
60.ट्रांसफॉर्मर की कोर नर्म लोहे की बनायी जाती है।
61.ट्रांसफॉर्मर में आयरन हानि स्थिर हानियां कहलाती है।
62.20 KVA ट्रांसफॉर्मर
को तेल द्वारा ठण्डा किया जाता है।
63.C.T. करन्ट ट्रांसफॉर्मर होता है।
64.P.T. पोटेन्शियल ट्रांसफॉर्मर
होता है।
65.ट्रांसफॉर्मर में प्राइमरी व सैकण्डरी वाइन्डिग होती
है।
67.आदर्श ट्रांसफॉर्मर जिनकी दक्षता शत प्रतिशत होती है।
68.ऑटो ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग स्टेपलाइजर मे होता है।
69.बकोल्ज रिले टैंक और कन्जरवेटर के मध्य स्थित रहती
है।
70.सिलिका जैल का उपयोग तेल नमी सुखाने हेतु किया जाता है।
71.थ्री फेज सप्लाई को टू फेजों स्कॉट कनेक्शन द्वारा
बदला जाता है।
72.ट्रांसफॉर्मर में अधिक वोल्टेज वाली लाइन को हाइटेन्सन
लाइन कहते है।
73.ट्रांसफॉर्मर में कम वोल्टेज वाली लाइन को लोटेन्सन
लाइन कहते है।
74.ट्रांसफॉर्मर मे हानियों की गणना वाट मे व्यक्त की
जाती है।
75.Pulse
transformer मे फैराइड
क्रोड का प्रयोग किया जाता है।
76.ट्रांसफॉर्मर के क्रोड मे भवंर
धारा से हानि होती है।
77.आदर्श ट्रांसफॉर्मर में शून्य लोड पर प्राथमिक कुण्डलन
की धारा वाल्टेज से 900 पिछड जाती है।
78.ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक एवं द्वितीयक कुण्डली मे
सदैव एक उभयनिष्ठ चुम्बकीय परिपथ होता है।
79.Singal phase ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक एवं प्रेरित द्वितीयक वोल्टता
एक-दूसरे से 1800 पर स्थित होती है।
80.कुण्डलन प्रतिरोध के कारण किसी ट्रांसफॉर्मर में ताम्र
क्षति होती है।
81.3-फेज डेल्टा ट्रांसफॉर्मर की एक फेज कुण्डली जल या
ओपन सर्किट हो जाए तो वह 58 पावर ही प्रदान करेग।
82.P.T.पोटेन्शियल ट्रांसफॉर्मर का उपयोग करते समय वोल्टमापी
को सदेव द्वितीयक वाइन्डिग से जोडना चाहिए।
83.ट्रांसफॉर्मर एक स्थैतिक युक्ति है इसकी दक्षता उच्च
रहती है।
84.बैरी टाइप ट्रांसफॉर्मर मे चुम्बकीय परिपथो की संख्या
अनेक होती है।
85.ट्रांसफॉर्मर की प्रत्येक क्वॉइल मे उत्पन्न वि.वा.
बल आवृत्ति लपेट संख्या एवं अधिकतम चुम्बकीय फलक्स पर निर्भर करता है।
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